पांच साल की केस हिस्ट्री का अध्ययन कर विशेषज्ञ साइबर अपराध पर लगाम लगायेंगे
रांची। देश में साइबर अपराध से जुड़े ज्यादातर मामलों के तार झारखंड के जामताड़ा, देवघर, गिरिडीह, गोड्डा और दुमका जिले से पाये जाते हैं, ऐसे मामलों पर अंकुश लगाने के लिए झारखंड पुलिस ने अब प्रभावी और सख्त रणनीति के तहत काम करने का निर्णय लिया है। इसके तहत पिछले पांच वर्षां के दौरान साइबर अपराध से जुड़े केस हिस्ट्री की विशेषज्ञ समीक्षा करेंगे और फिर इस तरह की घटनाओं में जुड़े अपराधियों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए समन्वय बनाकर काम किया जाएगा।
इसी क्रम में झारखंड के पुलिस महानिदेषक एम वी राव नेगुरुवार को सभी जिलों में पिछले पांच वर्षां में घटित साइबर अपराध से संबंधित आंकड़े और लंबित मामलों के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। एमवी राव रांची स्थित पुलिस मुख्यालय से वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से सभी जिलों के वरीय पुलिस अधीक्षकों, पुलिस अधीक्षकों और क्षेत्रीय पुलिस उपमहानिरीक्षकों के साथ बैठक में वर्षवार गिरफ्तार साइबर अपराधियों, विभिन्न कांडों में दर्ज प्राथमिकी में वर्णित मोबाईल नंबर और गिरफ्तार साइबर अपराधियों से बरामद सिमकार्ड धारकों के नाम-पता का सत्यापन, फर्जी कागजातों के आधार पर निर्गत सिमकार्ड विक्रेताओं एवं सर्विस प्रोवाईडरों के विरूद्ध की गई कार्रवाई के बारे में भी विस्तार से जानकारी मांगी है। इसके अलावा राज्य के बाहर घटित साईबर अपराधों में जिले के साईबर अपराधियों की संलिप्तता सहित झारखण्ड ऑनलाइन इन्वेस्टिगेशन को-ऑपरेशन रिक्वेस्ट प्लेटफॉर्म में प्राप्त अनुरोधों की संख्या के विरूद्ध निष्पादित मामलों की रिपोर्ट मांगी है। साथ ही साइबर अपराध के लंबित मामले और वर्ष 2016 से अब तक के सजा प्राप्त साइबर अपराधियों की संख्या के बारे में भी जानकारी मांगी है। उन्होंने साईबर अपराध को नियंत्रित करने तथा साइबर अपराधियों के विरूद्ध कार्रवाई करने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिये।
इस बैठक के दौरान अपराध अनुसंधान विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक अनिल पालटा, पुलिस महानिरीक्षक, मानवाधिकार नवीन कुमार सिंह, पुलिस महानिरीक्षक अभियान साकेत कुमार सिंह, पुलिस उप-महानिरीक्षक अंजनी कुमार झा और पुलिस अधीक्षक अपराध अनुसंधान विभाग अखिलेश झा समेत अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे।