डेनमार्क में 3,15,000 से अधिक बच्चों पर किए अध्ययन में हुआ खुलासा
नई दिल्ली (एजेंसी)। बच्चे के शरीर में अधिक फैट होने से उसको कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इनमें डायबिटीज, हृदय रोग और अस्थमा आदि होने का जोखिम होता है, लेकिन हालिया अध्ययन एक और जोखिम की ओर इशारा करता है। अध्ययन में सामने आया है कि वे वयस्क जिनका बचपन में अधिक वजन था, उन्हें मूत्राशय के कैंसर (ब्लैडर कैंसर) के विकास का अधिक खतरा हो सकता है। यह अध्ययन एनल्स ऑफ ह्यूमन बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है। डेनमार्क में 3,15,000 से अधिक बच्चों पर किए अध्ययन में पता चला कि शरीर का आकार उनके वयस्क जीवन में यह रोग होने के जोखिम को बढ़ाता है।
बचपन में औसत से ऊपर बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) का बढ़ना, हाई या लो बर्थ वेट और कम या औसत ऊंचाई जैसे कारक भी परेशानियों को बढ़ाते हैं। डेनमार्क में बिस्पेबर्ज और फ्रेडरिकसबर्ग हॉस्पिटल के वैज्ञानिकों का कहना है कि जल्द कारणों की पहचान करने से बीमारी को लेकर एक नई समझ पैदा हो सकती है, जो दुनिया में 9वां सबसे आम कैंसर है। इसकी पुनरावृत्ति दर अधिक है और 65 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों को प्रभावित करती है। अध्ययन यह समझ पैदा करने में योगदान देता है कि किस तरह शुरुआती जीवन में शरीर का आकार मूत्राशय के कैंसर के जोखिम का संकेत हो सकता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक मूत्राशय के कैंसर और मोटापे जैसे जीवनशैली के बीच की कड़ी पहले से ही स्थापित है। हालांकि इस बारे में बहुत कम जानकारी है कि इसकी उत्पत्ति बचपन से जुड़ी है। निष्कर्ष 1930 और 1989 के बीच पैदा हुए 315,763 बच्चों और 7 से 13 साल की आयु से संबंधित जानकारी पर आधारित थे। कोपेनहेगन स्कूल हेल्थ रिकॉर्ड्स रजिस्टर के इस डेटा में बीएमआई, बर्थ वेट और ऊंचाई शामिल थी और डेनिश कैंसर रजिस्ट्री के साथ क्रॉस-रेफरेन्स किया गया था। वयस्कों के रूप में मूत्राशय के कैंसर का पता लगाने वाले व्यक्तियों की संख्या 1,145 थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि मूत्राशय यानी ब्लैडर मानव शरीर में पेट के निचले हिस्से में स्थित एक खोखला थैलीनुमा अंग होता है, जिसमें पेशाब जमा होती है। मूत्राशय का कैंसर तब होता है, जब उसकी आंतरिक परतों में असाधारण रूप से ऊतक विकसित होने लगते हैं। ब्लैडर कैंसर महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में होता है। यह किसी भी उम्र में हो सकता है। मूत्राशय कैंसर के लक्षणों में पेशाब में खून आना, पेशाब करने के दौरान दर्द, पेडू में दर्द होना शामिल हैं। कई बार लोग पीठ दर्द और बार-बार पेशाब आने जैसे लक्षण भी महसूस करते हैं।